हाइकु
राम का राज।
सब एक समान।
सँवारे काज।।
नीले कृष्णा ।
गोपियों संग राधा।
बुझी तृष्णा।।
बन गमन।
भाई संग संगिनी।
दंभ दमन।।
गीता का सार।
कृष्ण ही जग का ।
है सूत्रधार।।
है अजब सा।
जीवन कुरुक्षेत्र।
मैं भटका सा।।
यही सुनाये।
बंशी की मीठी धुन।
प्रेम सिखाये।।
वही तो इश।
सबको बनाता जो।
है जगदीश।।
हमें जो तारे।
जीवन मधुर जो।
प्रभु सहारे।।
मेरी प्रकृति।
प्रभु की यही तो है ।
सुंदर कृति ।।
प्रभु मिलन ।
भ्रांति भ्रम दूर हैं ।
सुखद मन ।।
आरती लोहनी