हाइकु
हाईकु
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81- भूला आदमी
अपनी औकात है
भटका राह
82 – भाव समझ
आदमी गरीब का
देवता रूप
83- साकार रूप
आदमी गरीब है
ईश्वर रुप
84- मौज मनाओ
गरीब के काम से
अमीर लोगों
85- जहरीले हैं
नेताओं के दांत ये
इनसे बचो
86- कष्ट हजार
सहो तुम हमेशा
मजे से रहो
87- मंगलकारी
होती है मेहनत
घर सवारे
88- अभिनंदन
करो वर्तमान का
कल सुधरे
89- समर्पित हो
काम पर जीवन
दिन हों प्यारे
90- प्रसन्न मन
रोग-शोक हों दूर
हों वारे-न्यारे
91- गीता से जुड़ें
जीवन सफल हो
मोक्ष निश्चय
92- अज्ञान मिटे
गीता सार समझो
मिटता भय
93- प्रभु रचना
गीता ग्रंथ पावन
देती वैराग्य
94 – प्रभु कृष्ण हैं
श्री गीता जन्मदाता
कर्म ही प्रिय
95- यह माया तो
कटे गीता ज्ञान से
करो स्वाध्याय
96 – जब समृद्धि
हो देश के अंदर
प्रसन्न जन
97 – फैले व्यापार
बढ़े -फले व्यापार
प्रसन्न मन
98- धर्म कर्म से
ही होता है हमेशा
आत्म निर्माण
99- शुभ कर्मों से
मिलती पूर्ण शांति
मन चंदन
100- किया जीवन
जिसने देशहित
वही महान ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा