हाइकु -भ्रम
हाइकु
भ्रम
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नहीं है भ्रम
सब अपना कर्म
न भागे हम।
खोल भ्रम की
खुद आंखों की पट्टी
फिर समझ।
डूब जायेगा
इतना भ्रम क्यों है
क्या बत्ती गुल।
न कोई भ्रम
खुद पर विश्वास
होगा विकास।
क्या मिलेगा
अति उत्साह संग
मुंह की ख़ाना।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित