Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2023 · 1 min read

हाइकु -भ्रम

हाइकु
भ्रम
**********
नहीं है भ्रम
सब अपना कर्म
न भागे हम।

खोल भ्रम की
खुद आंखों की पट्टी
फिर समझ।

डूब जायेगा
इतना भ्रम क्यों है
क्या बत्ती गुल।

न कोई भ्रम
खुद पर विश्वास
होगा विकास।

क्या मिलेगा
अति उत्साह संग
मुंह की ख़ाना।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
133 Views

You may also like these posts

हम वीर हैं उस धारा के,
हम वीर हैं उस धारा के,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
Neelofar Khan
मन के टुकड़े
मन के टुकड़े
Kshma Urmila
🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
उम्मीदें जब बॅंध जाती है किसी से...
उम्मीदें जब बॅंध जाती है किसी से...
Ajit Kumar "Karn"
- उस पर लिखते ही गहलोत की कलम भी आंसू बहा रही -
- उस पर लिखते ही गहलोत की कलम भी आंसू बहा रही -
bharat gehlot
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
Shweta Soni
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
तस्वीर से निकलकर कौन आता है
Manoj Mahato
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
इस क़दर
इस क़दर
Dr fauzia Naseem shad
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
पेड़
पेड़
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
गुजरी महल (कहानी)
गुजरी महल (कहानी)
Indu Singh
क्षणिका  ...
क्षणिका ...
sushil sarna
* मुस्कुराते नहीं *
* मुस्कुराते नहीं *
surenderpal vaidya
ओ हर देवता हरे
ओ हर देवता हरे
रेवा राम बांधे
'कोहरा' (मनहरण घनाक्षरी)
'कोहरा' (मनहरण घनाक्षरी)
Godambari Negi
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
करवां उसका आगे ही बढ़ता रहा।
सत्य कुमार प्रेमी
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
sp59 हां हमको तमगे/ बिना बुलाए कहीं
sp59 हां हमको तमगे/ बिना बुलाए कहीं
Manoj Shrivastava
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री
Kavita Chouhan
"चौराहे में"
Dr. Kishan tandon kranti
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
हे सर्वस्व सुखद वर दाता
हे सर्वस्व सुखद वर दाता
Bharti Das
🇮🇳स्वतंत्रता दिवस पर कविता🇮🇳🫡
🇮🇳स्वतंत्रता दिवस पर कविता🇮🇳🫡
पूर्वार्थ
क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...