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14 Dec 2017 · 1 min read

हाइकु: निर्झर

हाइकु: निर्झर
// दिनेश एल० “जैहिंद”

गिरी नदियाँ
झर-झर ऊँचे से
बने झरने ।।

बड़े निराले
है निर्मल शीतल
दे शीतलता ।।

मन मोहक
मन मोहनी छवि
तर-तर निर्झर ।।

गोते पे गोता
कहलाए जो सोता
निराली छटा ।।

उद्घोषक जो
है उत्तेजक स्वर
है उत्साही वो ।।

===========
दिनेश एल० “जैहिंद”
09. 12. 2017

Language: Hindi
501 Views

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