हाइकु-किसान
हाइकु
किसान
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श्रम करता
हमेशा लगातार
सुकून कहाँ।
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पसीना बहे
सुकून भी न पाये
किस्मत देखो।
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बड़ा कठिन
किसान का जीवन
रहती कमी।
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थकता भी है
पर रुकता नहीं
ये है किसान।
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घाटे का सौदा
जानता है किसान
कैसे करता।
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धरती माँ है
कैसे दूर हो जाऊँ
जीऊँगा कैसे।
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नियत मेरी
लाभ या फिर हानि
मिले सुकून।
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◆ सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित