हाँ मैं वही हिंदुस्तान हूँ I
यदि मुश्किलों की दीवार है ,मैं भी वह फौलाद हूँ,
कठिनाइयों से मुंह नहीं मोड़ूं , ऐसी आने बाने शान हूँ
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हृदय सिंधु में ज्वार फुट रहा ,रणभेरी की हुंकार हूँ,
विश्व पटल पर गून्ज रहा, वही विश्व की पहचान हूँ
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इतिहास जो रच गए मेरा ,उनका ही इंकलाब हूँ
मुझ पर जो शहीद हुए हैं, उनके रक्तो का रुमाल हूँ |
गर बैरी मुझे आंख दिखाए ,चुन-चुन घुसकर मारू वो खड्ग ढाल हूँ ,
हड्डियों का दान भी दे दूं , मानवता की मिसाल हूँI
अरे किस से तुलना करोगे मेरी ,मैं वह अनोखा संसार हूँ|
नभ जल थल से तबाही मचा दूँ ,ऐसी हाहाकार हूँI
अम्बर के ललाट को छू लूँ, मैं ऐसा पालनहार हूँ |
सागर को चीर आंख दिखा दूँ, ऐसी मैं ललकार हूँI
कण-कण में कनक उगलूँ ,ऐसा चमत्कार हूँ I
कला, साहित्य, संस्कृति की अनोखी छाप हूँI
जयचन्दों की छाती पर, भड़कती हुई आग हूँ,
बैरी आंख उठा देख ले मुझे, लाशो का शमशान हूँ I
चन्द्र ,मंगल और सागर में, छोड़ी वो पहचान हूँ,
विश्व पटल पर गूँन्ज रहा, हाँ मैं वही हिंदुस्तान हूँ I
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युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद |