हाँ, मैं पुरुष हूँ
हाँ, मैं पुरुष हूँ
मैं भी घुटता हूँ, सिसकता हूँ
खुल कर बयान नही कर सकता,
क्योकि मैं पुरुष हूँ
कभी अपना दर्द बता नही सकता,
जता नही सकता,
मजबूत होने का दम्भ जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ…
मन मेरा भी भरता है,
आँसू बन आँखों से बहता है,
पर मर्द कब रोता है,
पुरुष हूँ..
पुरुष को दर्द कब होता है,
टूटता हूँ मैं भी तन से,
चटक जाता हूँ मन से,
पर कैसे कहूँ किसी से
क्योंकि मैं पुरुष हूँ….
हिमांशु Kulshrestha