हाँ, मैं नाराज़ हूँ,नही तुमसे नहीं, खुद से
हाँ, मैं नाराज़ हूँ,नही तुमसे नहीं, खुद से
तुमसे तो कोई शिकायत नहीं है,तुमने तो बस, वक़्त बिताया था
राब्ता तो मैंने ही बढ़ाया था,,तुम तो बस, यूं ही साथ चलने लगे थे,तुम्हारे कदमों से क़दमो को, तो मैने ही मिलाया था
तुमने तो बस रास्ता दिखाया था,मंजिल तक साथ चलने का ख़्वाब तो मैंने ही सजाया था,तुमने तो बस ख़्वाब दिखाए थे
उन ख्वाबो को हकीकत से रूबरू तो मैंने ही कराया था
हाँ, नाराज़ हूँ मैं खुद से,क्यों तुम्हारे हर झूठ को, मैंने सच का लिबास पहनाया था।।