हस लेना आज…
हस लेना आज..मेरी परछाईयों पर, तुम जी भर के!
आख़िर जिन्दगी की राह पर कब तक आँखे झुकाता मै!
रोना पड़े कभी..मेरी धुंधली इन परछाईयों पर, तुम्हे जी भर के!
रो लेना क्यों कि प्रकाश नहीँ होता हर अँधेरे की वज़ह में!!
–सीरवी प्रकाश पंवार
हस लेना आज..मेरी परछाईयों पर, तुम जी भर के!
आख़िर जिन्दगी की राह पर कब तक आँखे झुकाता मै!
रोना पड़े कभी..मेरी धुंधली इन परछाईयों पर, तुम्हे जी भर के!
रो लेना क्यों कि प्रकाश नहीँ होता हर अँधेरे की वज़ह में!!
–सीरवी प्रकाश पंवार