हसरतें
कोई करता है तेरा महज जिक्र ही ,
तो पूछो मत इस दिल पर क्या गुजरती है।
उठती है तमाम हसरतें हमारी ,
अश्क बनकर आंखों से छलकती है।
कोई करता है तेरा महज जिक्र ही ,
तो पूछो मत इस दिल पर क्या गुजरती है।
उठती है तमाम हसरतें हमारी ,
अश्क बनकर आंखों से छलकती है।