हश्र का मंज़र
बेरूख़ी के बावजूद
मुझे तुमसे प्यार होता
एक तरफा ही सही
मैं तुम्हारा यार होता…
(१)
अगर मैं न देख लेता
हश्र का वह मंज़र
तो मरके भी तुम्हारा
मुझे इंतज़ार होता…
(२)
दूर से ही पाकर
तुम्हारी एक आहट
तुम्हें देखने के लिए
दिल बेकरार होता…
(३)
दुनिया भर के ताने
सुनते रहने पर भी
ख़ुद से भी ज़्यादा
तुमपे ऐतबार होता…
(४)
औरों की तरह गाता
मैं भी रोमानी नगमें
मेरा मौज़ू-ए-सुख़न
नहीं सोगवार होता…
(५)
अपनी सारी खुशियां
मैं तुझपे लूटा देता
काश, मेरा क़िस्मत पर
इतना इख्तियार होता…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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