“हवाओं का रुख”
हवाओं ने आज फ़िर, रुख तूफ़ान का किया है ।
जैसे मेरी बनी बनाईं ज़िन्दगी ,फ़िर बिखेरने आईं हों।
जिस्म से रूह तक ,तकलीफ़ दिया उसने मुझे।
जैसे मेरे करीब आकर, मुझे मिटाने आईं हों।
हवाओं ने आज फ़िर, रुख तूफ़ान का किया है ।
जैसे मेरी बनी बनाईं ज़िन्दगी ,फ़िर बिखेरने आईं हों।
जिस्म से रूह तक ,तकलीफ़ दिया उसने मुझे।
जैसे मेरे करीब आकर, मुझे मिटाने आईं हों।