हवस अपनी इंतहा पार कर गई ,
हवस अपनी इंतहा पार कर गई ,
मगर हुकूमरान अभी तक बेहोश हैं।
चीख पुकार सुनाई नहीं देती बेबसों की ,
अपने ही मुल्क में हम महफूज़ नहीं हैं ।
हवस अपनी इंतहा पार कर गई ,
मगर हुकूमरान अभी तक बेहोश हैं।
चीख पुकार सुनाई नहीं देती बेबसों की ,
अपने ही मुल्क में हम महफूज़ नहीं हैं ।