हर ख़ुशी सबको मिले ऐसी जमीं रब चाहिए
ख्वाहिशें ऐसी कहाँ थी आसमां अब चाहिए
लोग हो बेचैन ऐसी जन्नतें कब चाहिए
एक दूजे पे भरोसा हो अमन चारों तरफ
हर ख़ुशी सबको मिले ऐसी जमीं रब चाहिए
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल
ख्वाहिशें ऐसी कहाँ थी आसमां अब चाहिए
लोग हो बेचैन ऐसी जन्नतें कब चाहिए
एक दूजे पे भरोसा हो अमन चारों तरफ
हर ख़ुशी सबको मिले ऐसी जमीं रब चाहिए
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल