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5 Feb 2020 · 1 min read

हर सड़क पर

हर सड़क पर कील बोते जा रहे हैं!
देखिए हम सभ्य होते जा रहे हैं!

तोड़ देना
पुरुषवादी बेड़ियों को
चाहते हैं तन सभी को हम दिखाएं।
देश बाँटें, फिर
कोई गाँधी मरे, फिर
गोड़से के मुँह पे कालिख पोत आएं।

मुस्कुराकर ख़ूब रोते जा रहे हैं!
देखिए हम सभ्य होते जा रहे हैं!

दामिनी की चीख,
चीखें मारती है
न्याय का ऐसा तमाशा बन रहा है।
फिर कोई तितली
फँसाई जा रही है
फिर हमारा तंत्र लाशा बन रहा है।

जागकर भी आज सोते जा रहे हैं!
देखिए हम सभ्य होते जा रहे हैं!

—©विवेक आस्तिक

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 280 Views
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