हर शख्स दीवाना है
****** हर शख़्श दीवाना है *******
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चाँद सा रोशन चेहरा मस्ताना है,
देख कर जिसको हर शख्स दीवाना है।
प्यार है जलिम रोग तन-मन में लगता,
खुद भरी महफ़िल में लगे बेगाना है।
ख़िदमती कुदरत का नसीबों वाला है,
कीमती हीरा जो मिला नज़राना है।
फूल खिलने पर भ्रमर चला दौड़ा आए,
भँवरों को लगता फ़क़त भरमाना है।
वो परी मनसीरत खड़ी इस आंगन में,
प्रेम तो तेरा – मेरा बना अफ़साना है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)