दुनिया
हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है।
रोकर कभी हँसती है हँसकर के रुलाती है।
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे –
दुनिया की हवा जैसे कातिल नजर आती है।
-लक्ष्मी सिंह
हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है।
रोकर कभी हँसती है हँसकर के रुलाती है।
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे –
दुनिया की हवा जैसे कातिल नजर आती है।
-लक्ष्मी सिंह