Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2018 · 1 min read

दुनिया

हर रंग में ये दुनिया सौ रंग दिखाती है।
रोकर कभी हँसती है हँसकर के रुलाती है।
अरमान सुलगते हैं सीने में चिता जैसे –
दुनिया की हवा जैसे कातिल नजर आती है।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

#जय_माता_दी
#जय_माता_दी
*प्रणय*
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
Shekhar Chandra Mitra
खंडर इमारत
खंडर इमारत
Sakhi
"टुकड़ा आईने का"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
तुम मुझे सुनाओ अपनी कहानी
Sonam Puneet Dubey
होली
होली
Meera Singh
*प्रेम का डाकिया*
*प्रेम का डाकिया*
Shashank Mishra
बरसो रे बरसो, बरसो बादल
बरसो रे बरसो, बरसो बादल
gurudeenverma198
#मातृभाषा हिंदी #मातृभाषा की दशा और दिशा
#मातृभाषा हिंदी #मातृभाषा की दशा और दिशा
Radheshyam Khatik
अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति क्या है
अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति क्या है
प्रेमदास वसु सुरेखा
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
Lokesh Sharma
खूब  उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
खूब उलझता हूँ रिश्तों के जालों में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
नारी
नारी
Pushpa Tiwari
कोई पूछे तो
कोई पूछे तो
Surinder blackpen
डायरी
डायरी
Rambali Mishra
*मासूम पर दया*
*मासूम पर दया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भय -भाग-1
भय -भाग-1
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वंसत पंचमी
वंसत पंचमी
Raju Gajbhiye
3801.💐 *पूर्णिका* 💐
3801.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
करती रही बातें
करती रही बातें
sushil sarna
*बेटियॉं जब से कमाने लग गईं (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं जब से कमाने लग गईं (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
फ़र्क़..
फ़र्क़..
Rekha Drolia
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
बढ़ना है आगे तो
बढ़ना है आगे तो
Indu Nandal
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
चलो यूं हंसकर भी गुजारे ज़िंदगी के ये चार दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...