हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
रास्ता कोई आखिरी होता है क्या
हर मुहिम मे जाकर के देखो जरा
फेसला कोई आखिरी होता है क्या
आग लगी हो दिल में तूफानों की
गर्दिश में भी कोई सोता है क्या
बिगड़े मौसम कोई संभाले यारों
आंचल में भी बच्चा रोता है क्या
✍️कवि 🄳🄴🄴🄿🄰🄺 🅂🄰🅁🄰🄻