हर बार की तरह
धूप से दिये जलायें आशाओं के
कहीं जुगनु मिल जायें अंधेरों में,
बीता साल ढलती सांझ में
सोते सुरज को, थपकी दे रहा हो,
दे कर खट्टी मिठ्ठी यादें
तितलियों सा गुम हो रहा हो ।
हर बार की तरह याद बनकर,
किसी गुमनाम की तरह ख्वाब बनकर
सलाम तुमको जाते जाते
सलाम तुमको जाते जाते ।।।
अब जो आयेगी गोधुली की बेला
नयी सुबह, नया साल बनकर
वहां सपने हजार होंगे
कहीं पुरे होंगे,कुछ अधुरे रहेंगे
चलो वादा कर लें खुद से
खुद से,खुद से, खुद से
न हताश होना, न निराश होना
छोटी छोटी सी खुशियाँ
बस बांटते चलना,
सलाम तुमको जाते जाते
सलाम तुमको जाते जाते ।।।।