हर पीड़ा को सहकर भी लड़के हँसकर रह लेते हैं।
हर पीड़ा को सहकर भी, लड़के हँसकर रह लेते हैं।
एक हँसी चेहरे के पीछे, लाखों गम सह लेते हैं।।
संघर्षों की एक कहानी, संग–संग चलती जाती है,
कुछ गीतों को गाकर अपना, मन हल्का कर लेते हैं,
दुनिया की बातों के वाण, निरंतर घाव बनाते हैं,
उन घावों को सींकर, हम अपने आंसू पी लेते हैं।
दुनिया को तो आदत बस हंसते चेहरे तड़पाने की,
उनकी इस तड़पन को भी हंसते–हंसते सह लेते हैं।।
हर पीड़ा को सहकर भी, लड़के हँसकर रह लेते हैं।
एक हँसी चेहरे के पीछे, लाखों गम सह लेते हैं।।
लेखक कवि
अभिषेक सोनी “अभिमुख”