हर पिता को अपनी बेटी को,
हर पिता को अपनी बेटी को,
चांद बनाकर नहीं बल्कि,
सूरज की तरह पालना चाहिए।
क्योंकि हर पति ,पिता की तरह नहीं होता ।
पिता कभी अपनी बेटी को ,
किसी भी कीमत पर ताना।
नहीं मारता लेकिन पति कभी न कभी ,
अहसान जताय ही देता है।
हर पिता को अपनी बेटी को,
चांद बनाकर नहीं बल्कि,
सूरज की तरह पालना चाहिए।
क्योंकि हर पति ,पिता की तरह नहीं होता ।
पिता कभी अपनी बेटी को ,
किसी भी कीमत पर ताना।
नहीं मारता लेकिन पति कभी न कभी ,
अहसान जताय ही देता है।