**हर पल बदलते ढंग हैं**
**हर पल बदलते ढंग हैं**
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मौसम के बहुत रंग है,
हर पल बदलते ढंग हैं।
हर रुत का अपना मज़ा,
खुशी और नजारे संग है।
बारिशें हो या धूप खिली,
जो घर में हैं वो ही तंग है।
हवा नमी भरी या सूखी,
जीवन की भारी जंग है।
बिरंगी बेढंगी मनसीरत,
जिन्दगी दो धारी खंग है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)