हर दरिया का समंदर में मिलना तय
हर सहर आफताब का निकलना तय है
हर साख ए गुल का लचकना तय है
मुझे तुझसे क्या जुदा करेगी ये दुनिया
हर दरिया का समंदर में मिलना तय है
हर सहर आफताब का निकलना तय है
हर साख ए गुल का लचकना तय है
मुझे तुझसे क्या जुदा करेगी ये दुनिया
हर दरिया का समंदर में मिलना तय है