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5 Apr 2024 · 1 min read

हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है

हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
देख कर लोग हमें,पत्थर से बना समझने लगे
वक्त के थपेड़ो से लड़कर,जीना ‘क्या;सिख गये
मतलब नहीं रखने को,वो अब बदगुमान कहने लगे

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