हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों
हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों लगता है कि कहीं अगले मोड़ पर उसे इंतज़ार न हो मेरा!!!
‘गुरु मिश्रा’
हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों लगता है कि कहीं अगले मोड़ पर उसे इंतज़ार न हो मेरा!!!
‘गुरु मिश्रा’