हर जगह तुझको मैंने पाया है
इश्क़ मुझको कहां पर लाया है ।
हर जगह तुझको मैंने पाया है ।।
जानते हैं, यह हो नहीं सकता ।
भूल जाने की ज़िद तो ज़ाया है ।।
खुद पर करके गुरूर क्या करते ।
खत्म हो जानी यह तो काया है ।।
बात दुनिया की कर नहीं सकते ।
धोखा खुद से भी हमने खाया है ।।
इश्क़ मुझको कहां पर लाया है।
हर जगह तुझको मैंने पाया है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद