हर चेहरा लहूलुहान है
हर चेहरा लहूलुहान है
अब तो दहशत में जान है…
(१)
हुक्मरान का अवाम से
कैसा बर्बर इंतकाम है…
(२)
गौतम-नानक का तो नहीं
यह किसका हिंदुस्तान है…
(३)
जीना तो मुश्किल यहां
मरना लेकिन आसान है…
(४)
हाय, धर्म क्या मानवता की
बर्बादी का सामान है…
(५)
ख़तरे में सदियों पुरानी
गंगा-जमुनी पहचान है…
(६)
देखो जाकर अस्पतालों में
कितना घटिया इंतज़ाम है…
(७)
आंसुओं से लिखी जा रही
यहां औरत की दास्तान है…
(८)
आजकल विकास का घोड़ा
हुआ जाता बेलगाम है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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