हर घर एक तिरंगे जैसी
गीत
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भारत मां का मस्तक ऊंचा, होता जायेगा।
हर घर एक तिरंगे जैसी, शोभा पायेगा।
केसरिया है रंग शौर्य का, शत्रु को दहलाये।
श्वेत रंग है शांति विनय का, सबके मन भाये।
रंग यही मन के भावों में, खिलता जायेगा।
भारत मां का मस्तक ऊंचा, होता जायेगा।
हरा रंग है खुशहाली का, नगर गांव बस्ती।
सभी जगह में इसकी नियमित, बनी रहे हस्ती।
नित्य सभी को लिए साथ पग, बढ़ता जायेगा।
भारत मां का मस्तक ऊंचा, होता जायेगा।
आज शत्रु सीमाओं का जब, मान नहीं करता।
नापाकी दहशतगर्दी में, लिप्त सदा रहता।
मानेगा तब सर इसका जब, कुचला जायेगा।
भारत मां का मस्तक ऊंचा, होता जायेगा।
हर मन में हो बसा तिरंगा, राष्ट्रभाव लेकर।
बने भारती मां का मंदिर, भारत का हर घर।
अखिल विश्व में सबसे ऊपर, यह लहरायेगा।
भारत मां का मस्तक ऊंचा, होता जायेगा।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य