हर गीत में तुमको गाया है..
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हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
पावन प्रेम के उपवन सा
अपनी भी प्रेम कहानी है,
मैं प्यासा सागर बेबस सा
तू दरिया सी दीवानी है..
कि-नैनों के निर्मल जल से
मन मंदिर में तुझे बिठाया है..!१
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
तुमसे जबसे मिले है,प्रियवर
हम खुद को ही भूल गए..
तुमको लिखते लिखते प्रिय
खुद को लिखना भूल गए.,
कि हर धड़कन में हर सांसों में
एक बस तू ही तू समाया है …..!२
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
प्रीत की डोरी से बंधकर मैं
हर जन्म तेरे मैं नाम लिखूं ,
तुझको अपनी राधा लिख दूँ
खुद को तेरा घनश्याम लिखूं,
कि दुनिया के इन रंगों में मुझे
प्रीत का रंग का ही भाया है..!३
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
खत सजो कर रखें है मैंने
जो लिखे थे तेरे ख्वाबो में ,
जैसे दिल को रख दिया है
छुपाकर हमने किताबो में ,
कि हमने जितने खत है,लिखे
हर खत में नजर तू आया है..!४
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
नाजुक प्रेम बहे अविरल
ये रातें तन्हा तड़पाती है ,
दिल का मकां है सूना-सूना
यादें दूरी में पास बुलाती है ,
कि जितने पास गए हम तेरे
तुझे उतना दूर ही पाया है..!५
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
मेरा गीत अमर हो जाएगा
जो अधर तेरे इन्हें गाएंगे ,
कर्ण की कलियां खिलकर
मन-हृदय भी मुस्काएँगे ,
कि हर सूरत में ,हर मूरत में
हमने तुझको ही पाया है..६
हर वर्ण-वर्ण,हर शब्द-शब्द
हर गीत में तुमको गाया है ..
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लेखक -कवि राहुल पाल
विधा -गीत (संयोग+ वियोग मिश्रण )
दिनाँक – ११/०७/२०२०
पूर्णतया मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित