हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हम हर खंजर की खबर रखते हैं..!
इतने गम है मगर अपनो का ध्यान,
रखा नही जाता, फिर भी रखते है!!
है वाकिफ हर एक की उड़ानों से
पक्षी के उड़ते ही सजर रखते हैं!
दिखती न जीत की उम्मीद लेकिन
दावं पर लगाकर शहर रखते हैं.. !!
बुलाने पर जो हमसे बोले ही नही
मन के राज हमसे खोले ही नहीं.. !
बोलते वो मीठी जुबान से लेकिन
जहन में अक्सर जहर रखते हैं…!!
चिरागों को अलाबों की रोशनी में
अंधेरों से बचाकर हम रखते हैं..!
जो पेड़ तूफान की गिरफ्त में है
उसी पर सजाकर नीड़ रखते हैं..!!
✍️कवि दीपक सरल