हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
मैंने आंखों में कुछ ख्बाबों को पाल रखा है ।
रात भर सोचती हूं मैं नई उम्मीदों के साथ ।
मैंने कल को अपनी चाहत में ढाल रखा है ।
मंज़िले दूर है चलना बहुत मुश्किल है यहां।
हर राह का अपनी मैंने खुद ख्याल रखा है ।
जो अपने आप को उसूलों में ढाल लेते हैं ।
उन्हीं हाथों से मैंने दामन संभाल रखा है ।
मेरी आंखों के ख्वाब बिखर न जाये ज़माने में।
दुनिया में मैंने हर कदम का खुद ख्याल रखा है ।
हालाते जिंदगी अब मेरी तुम भी जान लो ए ,फूल,।
मजबूरी के किस्से से मैंने खुद को निकाल रखा है
Phool gufran