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18 Aug 2023 · 1 min read

हर इंसान लगाता दांव

हर शय को दौड़ाता रहता
उसकी ख्वाहिशों का वेग
जो ख्वाहिशों को काबू में
रखे उसे सफलता विशेष
तन, मन, धन और समय
का हर इंसान लगाता दांव
विवेक के समुचित प्रयोग से
ही हासिल होते सही पड़ाव
बहुत ख्वाहिशें अनकही भी
अकस्मात हो जाती हैं पूरी
हर इंसान बरबस बतलाता
उसे दैव या नियति की मंजूरी
हे प्रभु मेरे मन मस्तिष्क को
रखिए सकारात्मकता से सिक्त
जरूरतों के दायरे को रखे वो
सदा विवेक से ही अभिमंत्रित

Language: Hindi
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