हर इंसान को सुकुन की तलाश
जिंदगी भर इंसान इसी उधेड़बुन में लगा रहता है
कहीं से तो सुकून और शांति मिले
जीने के लिए बस सुकून ही मिलता नहीं
संसार में कदम रखते ही तीन बरस का हुआ नहीं
कि पढ़ाई-लिखाई की कोशिश शुरू
शिक्षण पूर्ण होते-होते नौकरी की तलाश में रहता
नौकरी के साथ साथ माता-पिता की सेवा
फिर भी यह बात सुनना कि तुम्हें कुछ करते नहीं
इसी दरम्यान माता-पिता का साथ छुटने का गम
उम्र के बीच पड़ाव पर विवाह बंधन संस्कार
एक नवीन जिंदगी की राहों पर नये हमसफ़र के साथ जुड़ना
फिर एक बार ज़िंदगी में बच्चों के जन्म लेने का एक अलग ही मजा
बच्चों की परवरिश के साथ साथ नये पथ नये पैगाम
उनकी शिक्षा नौकरी विवाह को पूर्ण करने में सफल
इंसान सब कुछ निर्वाह करते करते बस ढूंढता रहता है कुछ देर सुकुन
जीने के लिए बस सुकून ही मिलता नहीं