हरूफ तुम्हारे हैं जो मर्ज़ी अल्फाज़ कर लो हरूफ तुम्हारे हैं जो मर्ज़ी अल्फाज़ कर लो जिसे चाहो राज़ी जिसे चाहो नाराज़ कर लो। – मोहित