हरि हरण, अशोक पुष्प मंजरी, सिंह विक्रीड़ आदि
हरि हरण घनाक्षरी 32
नेता से ÷
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जनता से प्यार कर,दिखावे हजारकर,
सेवा रूप धारकर, सभा बार बार कर,
खाई थाली छेदकर, काले को सफेद कर,
भाइयों में भेदकर, खुद का प्रचार कर ।
आगे आगे बढ़कर,सीधे पांव पड़कर,
वादे नये गढकर, वोट नदी पारकर ।
कुर्सी को प्राप्तकर,वादों को समाप्त कर,
मनमानी व्याप्तकर,कर भृष्टाचार कर ।
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वोटर से÷
अशोक पुष्प मंजरी 28
14 गुरू लघु युग्म
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नाम देख काम देख देश का विकास,
देख कौन है महान सोच बार बार।
मातृभूमि आन हेतु त्याग दे विवाह,
वो सुजान साधता सदैव सार सार।
खींचतान देख लोकतंत्र वस्त्र,
हो न जाय,
तार तार तार तार तार तार।
योग्य को चुनो अवश्य,
देश का भविष्य देख,
वोट डार, डार डार डार डार।
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मतदान की अपील
जनता से ÷
घनाक्षरी छंद
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सही सही सुविधा की रोटियाँ पकाना है तो,
छलनी ले हाथ आटा चालना
जरूरी है।
माता पिता के समान जनता है तंत्र हेतु,
बच्चों जैसा संविधान पालना जरूरी है।
सत्ता मूर्ति बनाने को,गीली मिट्टी सामने है,
समय सांचे में उसे ढालना जरूरी है।
प्रजातंत्र चलाने को, सरकार बनाने को
सारे काम छोड़ वोट डालना जरूरी है।
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विधाता से ÷
सिंह विक्रीड़
यगण × 9
27 या अधिक वर्ण
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यहाँ से वहाँ से,जहाँ से मिले तो, गुरू ज्ञान ले ले लगा ध्यान पूरा मना भाग भारी।
करे रंक राजा विधाता वही है व राजा चहे तो जरा में कहीं से बनादे भिखारी।
मिटे कष्ट सारे,बना भक्त जो भी कृपा की सुनी है,हुआ क्या सुनी ना अभी भी हमारी।
लगातार जूझे कमाते कमाते थके अंग सारे,
चुकाते चुकाते चुकी ना उधारी।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
9/11/23