हरियाली से खुशहाली
हरियाली का खुशहाली से
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हरियाली का खुशहाली से जन्मों का नाता है ।
नानी कहती, दादी कहती, पर समझ न आता है ।
हरियाली में पक्षी झूमें ,
हरियाली से मौसम ।
हरियाली जीवन की सरिता,
हरियाली से हैं हम ।
हरियाली जब पंख पसारे हर कण कण भाता है —-
हरियाली जल जड़ से बढ़ती,
धरा का ये श्रृंगार ।
हरियाली के पात पात में ,
सांस का है संसार।।
हरियाली को निरख निरख कर, ये मन मुस्काता है—
हरियाली को कायम रखना,
है मनुज की ये जीत ।
पर्यावरण बचाना है तो ,
धरा से कर लें प्रीत ।।
हरियाली पीड़ा को हरने वाली खुद माता है —-
हरे पेड़ हों हरी मेड़ हो ,
पथ के हरे किनारे ।
हरियाली से सजे धजे हों,
आँगन अरु चौबारे ।।
हरियाली का जो भाव जगाए वही विधाता है —-
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प्रबोध मिश्र ‘हितैषी ‘
बड़वानी (म.प्र.)451551