हरियाली और बंजर
विश्व पर्यावरण दिवस पर मित्रों सादर समर्पित है गीत।
हरियाली औ बंजर
कोसे हरियाली बंजर को,क्यों विकास इतना करती।
फलस्वरूप बंजर धरती को,कंक्रीट है क्यों भरती?।
क्यों मानवता हरित धरा को,अपमानित कर रहती है?
कंक्रीट का जंगल लेकर, खुशियाँ पाकर कर सहती है।
बिन हरियाली वसुन्धरा जब, बन कुरूप तिल-तिल मरती।
जल बिन मछली जैसे तरसे,हरियाली ऐसे तरसी।
फलस्वरूप बंजर धरती को, कंक्रीट है क्यों भरती।
कोसे हरियाली बंजर को,क्यों विकास इतना करती।
वायु प्रदूषण का रोना हो, या जलवायु प्रदूषित हो।
हरियाली का रोना लेकर, जब सरकार विभूषित हो।
रोती होगी मानवता तब, जंगल अब क्यों कटते हैं?
खेती औ खलिहान हमारे,जल्दी से क्यों पटते हैं ?
नदियां औ तालाब उफनते, होती जल प्लावित धरती।
मौसम की जब अतिशय होगी,मानवता तब है मरती।
फलस्वरूप बंजर धरती को,कंक्रीट है क्यों भरती?
कोसे हरियाली बंजर को,क्यों विकास इतना करती।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम