हरियाणवी रागनी
जात- पात के बैर भाव नै, जड़तै कती मिटागे वो ।
सभनै दे अधिकार जीण का,करणा प्यार सिखागे वो।।
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जब धरती पै आये बाब्बा, घणा बुरा था हाल अड़ै,
ऊंच नीच के चक्कर म्हं थे, भारत आले रोज लड़ै,
ठानां मन म्हं लड़ूं लड़ाई मुस्किल जितणी आण पड़ै,
बुद्धी आला रह्व जीत म्हं, बेबुद्धी कै रोज जड़ै ।
नये भारत की नीम धरी, न्यू सारे जग म्हं छागे वो ।
जात-पात के भेदभाव नै जड़ तै कती मिटागे वो ।।
सभनै दे अधिकार जीण का…………………….
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नारी की हालत माड़ी जब देखी बाब्बा दंग हुआ,
दिया बराबर का हक बेशक,कितणा भी वो तंग हुआ,
पैरां की जूती मानै थे, कदे न उणकै संग हुआ ।
अड़े बात पै बाबा जी तो, भेद पुराणा भंग हुआ ।
लड़ै लड़ै कै नै संसद म्हं, जननी-मान करागे वो।
जात- पात के बैर भाव नै, जड़तै कती मिटागे वो ।।
सभनै दे अधिकार जीण का…………………….
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रिजर्व बैंक की करी स्थापना रपयां का फेर बढ़ाया,
बांध बणाके सपना देखां ,यो खेत खेत लहराया,
आम आदमी के हक खातर पूरा हे फ़र्ज़ निभाया,
ओबीसी के हित में अड़ ग्या छोड्डी संसद छाया ।
त्याग दी संसद बाबा जी नै, अपणे घर नै आगे वो ।
जात- पात के बैर भाव नै, जड़तै कती मिटागे वो ।।
सभनै दे अधिकार जीण का…………………….
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बव्वा आला कह सुणो थमै, मानों बात भीम की रै,
शिक्षा तै बढै कुछ न होता, शिक्षा ईंट नींव की रै,
हक के खातर मिलकै लड़ना एका बड़ा कीमती रै,
संघरस जिसनै करणा आवै वा हे जात जीतती रै ।
आगै जीन्ह कदम बढ़ाया, सब दुनिया नै भागे वो ।
जात- पात के बैर भाव नै, जड़तै कती मिटागे वो ।।
सभनै दे अधिकार जीण का…………………….
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श्रीभगवान बव्वा, प्रवक्ता अंग्रेजी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लुखी, रेवाड़ी ।