-हरिनाम
हरिराम जपले प्राणी ; जन्म यो सुधर जाय ।
केऊ मन हित सोच के ; बचे ना कर्म सिवाय ।।
बचे ना कर्म सिवाय ; जद न चले कर्म रामा ।
ऐसा नाम अमोल ; भजहुं मनवा बिन धामा ।।
आभा उर हरिें जोड ; नित वंदनाकारी हैं ।
केह रणदेव मनुज ; कर्मा प्रबल धारी हैं।।
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174627