हम ही हैं जो हम नहीं
कर लिया खुद को अकेला,
न कोई शिकवा गिला।
खुश रहो तुम खुश रहें सब,
सबको अपना सब मिला।
गर मिले ठोकर अगर तो,
इसमें कोई गम नहीं।
महफिलों में होके आखिर,
हम ही हैं जो हम नहीं।
– आकाश त्रिपाठी
कर लिया खुद को अकेला,
न कोई शिकवा गिला।
खुश रहो तुम खुश रहें सब,
सबको अपना सब मिला।
गर मिले ठोकर अगर तो,
इसमें कोई गम नहीं।
महफिलों में होके आखिर,
हम ही हैं जो हम नहीं।
– आकाश त्रिपाठी