हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
देश की तक़दीर हम क्यों नहीं बदल सकते!
ऑंखों के सामने घट रही घटनाओं पर,
मूकदर्शक बनकर हम कैसे बैठ सकते हैं?
हम सही को सही और ग़लत को ग़लत
कहने की ताक़त क्यों नहीं रख सकते!
हम हाथ पर हाथ रख कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम एक ज़िम्मेदार नागरिक क्यों नहीं बन सकते!
नेक मन से संवेदनशीलता का परिचय देकर हम
अपने देश को गौरवान्वित क्यों नहीं कर सकते!!
…. अजित कर्ण ✍️