हम सृजन के पथ चलेंगे
हम सृजन के पथ चलेंगे
जीत हो या हार हो
नित सदा ले रथ चलेंगे।
ध्वंस को करके किनारे
हम सृजन के पथ चलेंगे ।।
बीज को बपते जमीं में
श्रम कणों लथपथ चलेंगे
जलज से आकार न्यारे
वारि मधुमय मथ चलेंगे।।
ध्वंस को करके किनारे।
हम सृजन के पथ चलेंगे।।
हो अमिय , वारुणी की धार हो
तेज धारा में सदा सुपथ चलेंगे
डगमगाती कश्तियों की थाम डोरे
अरि दलों से हम सदा प्रमथ चलेंगे।।
ध्वंस को करके किनारे
हम सृजन के पथ चलेंगे।।
जीत हो या हार हो
नित सदा ले रथ चलेंगे।
ध्वंस को करके किनारे
हम सृजन के पथ चलेंगे।।
**© मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘
१५-४-२०२४