हम सफर
एक ही रास्ते के मुसाफिर,
कोई अपना जो दुख दर्द
बांट लें, बिन किसी मकसद
दो प्रेमी हो सकते है,
भाई बहन माता पिता संग,
जो गालियों पर भी हंसे,
नादानियों को न भुनाये,
मुश्किल घड़ी में डटें,
हम सफर वही जो,
एक रास्ते पर मिलजुल
आगे बढे और बढ़ते ही रहें.
फिक्र छोड़ हाथ जोड़
सब एक साथ बढ़ने लगे,
गिरे तो उठा लिये जाये,
बेबस महसूस न करें,
गीत तुम हो, साज वो बने,
पथ पर आये बाधा,
वो कहे, तुम यहीं रुके,
आओ हम सब एक साथ आगे
और आगे बढते ही रहे !