हम रंगों से सजे है
हम रंगों से सजे है
हम रंगों में बसे है
हम भी इस कुदरत के रंग है
हम से ही दुनिया कुछ रंगीन है
कायनात का हर जर्रा जर्रा है रंगीन
बताओ किसी रंग का जुर्म है संगीन ?
राधा के पिचकारी से खूब रंगी है रुखसाना
मीरा के घर पूरनपोली बना रही है फरजाना
राघव ने गुलाल में रंग दिया है रमजान को
क्या कभी बांटा है किसी रंगों ने इंसान को..?
✍️©®-‘अशांत’ शेखर
07/03/2023