हम मिलेंगे
हम मिलेंगे……
एक रोज़ मैं मिलूंगा तुमसे किसी इतेफ़ाक़ की तरह, शायद किसी पथरीले पड़ाव पर तुम मेरा हाथ थामने मिल जाना, या किसी मोड़ पे यूँ ही कहीं टकरा जाना।
एक रोज़ मैं बैठकर हसूंगा तुम्हारे साथ आँखें भर आने तक, हसुंगा सब सोच कर, कैसे मिले, बिछड़े और हम अब फिर मिल रहे हैं।
एक रोज़ मैं तुम से मिल कर, बस यूँ ही तुम्हारी हाँ में हाँ मिलाऊंगा, तुम्हें ताकते हुए हर उस ख़याल को आज़ाद करूंगा जो मुझे तुमसे अब तक जोड़े रखता था।
मैं नहीं बताऊंगा कि कैसे गुज़री ज़िंदगी तुम्हारे बिन, तुम भी मुझे मत बताना।
तुम मत बताना अब कौन है तुम्हारे करीबी और ना ही है मुझे जानना।
एक रोज़ हम ज़रूर मिलेंगे, तब जान लेगी ये ज़िंदगी के अब ये इंतज़ार ख़त्म हुआ, अब यहाँ से आगे जीना है अकेले ही।
ना सोचा है मैंने कोई खूबसूरत जगह,
ना चाहा है तुमसे मीठे बोल सुनना,
खरी धूप में जैसे बारिश की बूँदे बरस जाती हैं,
चाहता हूँ उसी इतेफ़ाक़ की तरह तुमसे मिलना
एक रोज़ मैं मिलूंगा तुमसे, ख़ुद से एक बार और मिलने के लिये।
😏😏🌹😏😏