हम मजदूर हैं … हमारे पास व्यवहार की दौलत
हम मजदूर हैं … हमारे पास व्यवहार की दौलत है ।
आज फिर ठेकेदार नहीं आया । कोई भी मजदूर ढंग से काम ही नहीं कर रहा । ठेकेदार होता है तो किसी के हाथ पैर नहीं रुकते चाय भी तीन टाइम चाहिए और साथ में नाश्ता पानी भी । इस ठेकेदार से ठेका वापिस ले लेता हूं किसी दूसरे को देता हूं । नुकसान ही तो उठाना पड़ेगा । देखो तो ज़रा 7 दिन हो गए कोई खेर खबर ही नहीं है । ये एक 1 साल के काम को 2, 3 साल लगा देगा ।
कहते हुए सूरज सभी मजदूरों पर भड़क रहा था । 7 दिन हो गए थे सूरज को यूं ही मजदूरों पर भड़कते हुए ।
आज किसी को चाय नाश्ता नहीं मिलेगा । सारा समय बीड़ी फूकने और चाय पानी में ही लगा देते हो । काम तो 2, 3 धंटे ही करते हो दिहाड़ी पूरे दिन की चाहिए ।
मजदूर गिरधारी को सूरज की बात सुनकर गुस्सा आ जाता है । साहब ऐसे मत कहिए । काम और मेहनत की रोटी खाते हैं । आप खुद ही देखिए कितनी ठंड पड़ रही है । दस माले तक मेरी मेहरारू, बालक और ये मजदूर ईंट सीमेंट चढ़ाते हैं । ट्रक वाला तो रात को बाहर सड़क पर ही छोड़ जाता है आज सुबह 5 बजे तक सारा सामान सड़क से अंदर तक डाल है अभी ऊपर भी चढ़ाना है । बच्चों का खेल थोड़ी ना है ठंड में हाथ सुन हो जाते हैं । आप तो साहब हैं ना आपको क्या पता ? साहब हमारी मेहनत पर यूं पानी ना फेरो ।
सूरज तिलमिलाकर काम करते हो तो पैसे भी लेते हो मुफ़्त में थोड़ी न करते हो ।
गिरधारी दुखी मन से , हां साहब हम मजदूर है न इसीलिए आपका हक बन ही जाता है हमें कुछ भी कहने का । हम भी आपकी तरह पढ़े – लिखे होते तो हम भी आपकी तरह बाबू सेठ होते । हमारा तो नसीब ही यही है दूसरों के घरोंदे बनाते हैं और अपना ठोर ठिकाना ही नहीं है । जब से गांव से आए हैं खानाबदहोश की तरह घूमते रहते हैं जहां काम मिल जाता है वहीं डेरा डाल लेते हैं । बाकी ठेकेदार की मेहर ।
गिरधारी की बात अनसुनी करते हुए सूरज फोन सुनने लगता है । अरे ठेकेदार साहब कहां गुम हो गए आप , 7 दिनों से कोई खेर खबर ही नहीं , साइट पर भी सभी अपनी मनमानी कर रहे हैं ।भाई ऐसे तो काम नहीं चलेगा काम करना है तो सही तरह करो नहीं तो मैं ठेका वापिस ले लूंगा, बहुत है अभी भी काम को लेने वाले । मैंने तो आपसदारी देखी मगर अब क्या कर सकता हूं ?
अब बताओ कहां हो ?
सूरज साहब मैं जयपुर में फंसा हूं आपको तो पता है कोरोना अब भारत में भी आ गया है यहां आवाजाही बिलकुल बंद हो गई है । सुनाई में आ रहा है कि सभी जगह लॉक डाउन हो गया है ।
आप ऐसा करिए मेरे मजदूरों को 7 दिन की दिहाड़ी दे दो बेचारे समय रहते अपने – अपने घर तो पहुंच ही जाएंगे ।150 रुपए रोज के हिसाब से एक मजदूर की 7 दिन की दिहाड़ी 1050 रुपए बनती है आप 1500 – 1500 सभी को दे देना इनकी थोड़ी मदद ही हो जाएगी । बाकी हिसाब आकर करता हूं यहां का माहौल देखकर निकालने की कोशिश करता हूं ।
सूरज ठीक है कहते हुए फोन काट देता है । गिरधारी सभी से कह दो काम बंद कर देंगे । आज से अभी काम बंद रहेगा सरकार का ऐलान किया है कि सभी काम धंधे covid १९ के चलते अभी बंद रहेंगे । सभी अपनी 7 दिन की दिहाड़ी लेे लो और साइट खाली कर दो ।
सूरज सभी को 1500 की जगह 1000 रुपए देकर कहता है कि 50 रुपए चाय पानी के काट लिए । गिरधारी मन में … गरीबों की मेहनत का पैसा लेकर कितना भर लेगा सभी यहीं पर रह जाना है ।
गिरधारी मजदूरों से , अपना अपना डेरा हटाओ और सामान बांधो ।
रामू मजदूर गिरधारी से कहता है कि अब वह कहां जाएंगे । गिरधारी कहता है गांव ही चलते है पता नहीं कब तक का बंद हो । सभी मान जाते हैं । सूरज अपनी गाड़ी में बैठकर निकाल जाता है ।
गिरधारी मन ही मन शहर के पैसे वाले लोग कितने रूखे होते हैं मदद तो करने से रहे मजदूरों का भी पैसा खा जाते हैं चलों अपना – अपना व्यवहार ।
सभी 20 मजदूर एक साथ हो लेते हैं जिसमें महिलाएं और बच्चे भी हैं । कुछ दूरी पर भीड़ दिखाई देती है गाड़ी तो सूरज साहब की लग रही है गिरधारी कहता है । रामू ये तो सूरज साहब की ही गाड़ी है नज़दीक जाकर भीड़ को हटाते हुए । अरे ये तो अपने सूरज साहब हैं । खून से लथपथ दर्द से तड़पता सूरज थोड़े होश हवास में सड़क पर पड़ा है कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा । गिरधारी सूरज को अपने मजदूर भाइयों की मदद से अस्पताल तक पहुंचता है और उसके घर ख़बर कर देता है । सूरज कुछ बोल नहीं पा रहा है परन्तु आंखो ही आंखों में गिरधारी और अन्य मजदूरों से मानो माफ़ी मांग रहा है ।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परोपकरिता ही सबसे बड़ा धर्म और कर्तव्य है । पैसा समाप्त हो जाता है परन्तु दूसरों के साथ किया गया आपका व्यवहार सदैव साथ और याद रहता है इसलिए दूसरों के काम आईए किसी कि मेहनत का हक छीनकर हम सुख प्राप्त नहीं कर सकते ।
अच्छे बने , अच्छे कर्म करें और दूसरों के काम आएं ।
धन्यवाद
डॉ नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘