हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश।
तुम खुश हो तो, हम भी है खुश।।
तुमसे नहीं हमको, कोई शिकायत।
दुहा हम भी करते हैं, तुम रहो खुश।।
हम भी तो चाहते हैं ———————-।।
बेहतर इससे अब क्या होगा।
तुमको नहीं जब कोई शिकायत।।
होते अगर इससे ख्वाब तेरे पूरे।
होती अगर तेरी ऐसी इनायत।।
तब हम क्यों यह खेल बिगाड़े।
सुनाते हैं महफ़िल में तुम रहो खुश।।
हम भी तो चाहते हैं ———————-।।
नहीं दे पाते हम तो तुम्हें।
ऐसी ख़ुशी, ऐसी हंसी।।
बना नहीं पाते तुम्हारे लिए।
हम तो ऐसा महल हसीं।।
नहीं है हमारी ऐसी बिसात।
कि कर सकें हम तुम्हें नाखुश।।
हम भी तो चाहते हैं ———————-।।
मिला हैं तुम्हें तो हमसे बढ़कर।
जीवन तुम्हारा रोशन करने वाला।।
बहुत हसीन उसके संग लग रही हो।
अच्छा है तुमको महकाने वाला।।
क्यों हम भी अपने आँसू बहाये।
खुदा रखें तुमको आबाद खुश।।
हम भी तो चाहते हैं ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला – बारां (राजस्थान )