हम बच्चों की आई होली
मीठी मीठी गुझियावाली,हम बच्चों की आई होली।
मस्ती के बारात सजाए,संग लिए खुशियों की डोली।
जल्दी उठकर सुबह सवेरे, गली मुहल्ला करते फेरे,
खटकाते सबके दरवाजे़,आओ चंपा आओ मोली।
पानी लेकर मुन्ना आया,संग रंग का डब्बा लाया,
सीता ने गीता रानी के,पूरे मुँह पर मल दी रोली।
चुन्नू ने मुन्नू को पकड़ा, ऐसा रंग लगाया तगड़ा,
भींगा कुर्ता अमन रमन का,और प्रिया की लँहगा चोली।
गुब्बारे में पानी भरकर,अंजाने पर भी दे मारे,
छोटी-छोटी पिचकारी है,मगर बड़ी है अपनी टोली।
रंग-बिरंगे वस्त्र सभी के, थोड़े गीले,थोड़े सूखे,
रंगों की पुड़िया हाथों में.लेकर संग चले हमजोली।
रूप-अनोखा अजब-गजब है, एक तरह के दिखते सब है,
नीले-पीले-लाल-गुलाबी,सजी हुई तन पर रंगोली।
करें शरारत धूम मचाये,मटक-मटक कर नाच दिखाये,
मौज मस्ती से भरी हुई है,अल्हड़-जैसी हँसी-ठिठोली।
ज़ोर-ज़ोर से हँसते गाते, रंग उड़ाते गले लगाते,
निर्मल मन में रंग घोलकर,भर देते हैं सुख से झोली।
पूरे दिन हुडदंग मचाते,जाने कितनी बार नहाते,
मगर पिता जी गुस्सा भूले, देख हमारी सूरत भोली।
गुझिया,चूरमा,रसमलाई, तरह-तरह की बनी मिठाई,
आओ सब मिलजुल कर खाओ, बड़े प्यार से मम्मी बोली।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली