हम दूर तो जा रहे थे, पर ना जाने क्यू ये दिल और भी पास आ रहे
हम दूर तो जा रहे थे, पर ना जाने क्यू ये दिल और भी पास आ रहे थे ।
जितने कदमों मे फासले आ रहे थे , उतना ही ये फासले दिलों कि दूरी मिटा रहे थे।
उसके होठ हमारी जुदाई कि कहानी कहना चाह रहे थे, पर उन आंखों मे तो आज भी हमारी मोहब्बत के किस्से ही नज़र आ रहे थे।
वो चहता था मुझसे दूर जाना, क्यूं फिर उसके कदम मेरे तरफ ही आ रहे थे।
होठों पर तो किसी और का नाम था उसके पर क्यूँ फिर भी उसका चेहरा मेरा नाम ही पुकार रहा था।
आया तो था वो अपनी शादी का न्योता देने, पर ना जाने क्यू उसमे भी कहीं वो मेरा नाम ही खंगाल रहा था ।
हम दूर तो जा रहे थे, पर ना जाने क्यू ये दिल और भी पास आ रहे थे ।