“हम तेरे बिन रह नहीं सकते”
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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भुलाऊँ किस तरह तुमको ,
तुम्हारी याद आती है !
करूँ क्या कुछ नहीं सूझे ,
मुझे रह- रह सताती है !
मेरी तुम बात मत पूछो ,
मेरा यह हाल कैसा है ?
किसी से कह नहीं सकती ,
मेरा यह दर्द ऐसा है !!
तुम्हारे प्यार के सौगात ,
मेरे पास रहते हैं !
तुम्हारी खुसबूओं के साथ ,
मेरे दिन गुजरते हैं !!
तुम्हारी आहटें चलने की ,
मुझे आभास आती है !
करूँ क्या कुछ नहीं सूझे ,
मुझे रह- रह सताती है !!
किसको बताऊँ मैं यहाँ ,
मेरे आँसू नहीं रुकते !
तड़पती हूँ तुम्हारे बिन ,
कोई ढाढ़स नहीं देते !!
बिरह की वेदना सहकर ,
मुझे सबदिन रुलाती है !
करूँ क्या कुछ नहीं सूझे ,
मुझे रह- रह सताती है !!
बहुत अब हो गयी दूरी ,
तुम्हारे साथ रहना है !
नहीं अब दूर की बातें ,
सदा ही सँग चलना है !!
बिरह की रात हमको भी ,
हरदम ही सताती है !
करूँ क्या कुछ नहीं सूझे ,
मुझे रह- रह डराती है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत
10. 03. 2022.